मंगलवार, 1 जून 2010

माया ही माया

उ. प .में सभी तरफ एक ही चर्चा है  माया ही माया की, कोई माया को घेरने की कोशिश कर रहा कोई माया के लिये चक्कर पे चक्कर लगा रहा ,माया जी ने तीन साल में यह कमाल कैसे किया हमे भी बाते दे शायद हमारा भाग्य बदल जाये माया जी यह पैसे का चक्कर- वक्कर छोड़िये आज आप को जिस जिम्मेदारी से उ,प. की कमान सौंपी है ! कहीं जनता को सोचने पर मजबूर न कर दे आप को वापस बुलाने की सोच ले अभी तीर कमान से नहीं निकला माया का चक्कर छोड़ दे वर्ना न घर की रहे गी न घाट की?
पैसा-पैसा करती है
इस  पैसे  का क्या करती है
एक बात बता दे जनता को
आगे तेरी क्या मर्जी है
माया जी अपना ध्यान अपनी जुम्मेदारी की तरफ लगाये उ.प, जनता जिसने आप को बड़ी उम्मीद से इस सीट पर बैठाया वो ही उतार दे? इस लिये इन पत्थरों से मोह छोड़ दे प्रदेश की तरफ ध्यान दे अपनी जुम्मादारी निभाए !


आज देश के सबसे बड़े प्रदेश का क्या हॉल है ,इस से आप अनजान तो नहीं , आप अपनी जुम्मेदारी से मुहं मोड़ रही है, आज प्रदेश में कोई भी कहीं सुरक्षित नहीं, हर जगह लूट पाट हो रही. सडक का बुरा हॉल बिजली आती नहींपानी का कोइ अता -पता नहीं क्या हॉल बनगया प्रदेश का. कोई इन्वेस्टर प्रदेश में आना नहीं चाहतासारी  फेक्टरी   बंद हो रही. आप है माया जी केवल माया के पीछे भाग रही.!
!
सुन  -सुन  हे  माया  सुन    
जनता की कहर सुन
पत्थर की मूर्ति है तू
पत्थर सा दिल तेरा
पैसा-पैसा रटना छोड   
पैसे की माया छोड़ तू
यह कब तक साथ नि भायेगा 
 इस की आस छोड़ तू !
अब वक्त आ गया है. उ.प. की तक़दीर का फैसला करना है .उसे ऐसे मजबूत इमानदार हाथो में देने की जो उसकी कदर करे ! जनता उठो जागो 
              जरा सोचो भाई 

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