शुक्रवार, 25 जून 2010

मै एक नन्हा सा

माँ
जब वक्त नहीं था  तो मुझे नऔ माह जिगर का खून पिलाकर कोख में क्यों बड़ा किया माँ  
बड़े प्यार और जतन से इस दुनिया की रोशनी क्यों दिखाया   " माँ "
अपनी  रातो की नीदं उड़ा कर मुझे क्यों दुलारा  "माँ"
दिन रात एक कर मुझे लोरी सुना कर
पग पग मेरी जरूरत क्यों पूरी किया " माँ "
अब  मै तुम्हरी जीवन की खुशिया बन गया हू " माँ " 
मेरी जरूरत  आखों से तू जान लेती है  "माँ"
छड भर में उनेहे पूरी कर जो आनद उढ़ा ती है  "माँ"
जब मुझे सौप देगी किसी अनजान हाथो में " माँ " 
तब कौन पूरा करेगा मेरी जरुरतो को  "माँ" 
मेरी आखों की भाषा कौन पढ़ सकेगा   "माँ"
मेरी हर छोटी से छोटी जरूरत कौन पूरी करेगा "माँ"
तब तू सह सकेगी मेरी जुदाई
मै नन्हा बालक अभी कुछ बोल नहीं सकता "माँ"
मुझे अभी कुछ वक़्त तेरी छाया की जरूरत है "माँ"
मै वादा करता हू
तेरी हर बात समझू गा
तेरी उगली पकड़ कर चलना
सीखूंगा   "माँ"
अभी मै एक पग चलता ठोकर खा कर गिरता
तेरा कलेजा हिल जाता "माँ"
तब कौन  मुझे सभाले  गा
कौन मुझे दुलारे गा " माँ"
कुछ दिन रुक जा
मै वादा करता हू
इन पग को सभल जाने दे
मुहं से कुछ कह पाने दे
अपनी जरूरत बताने दे
जैसा तू चाहे वैसा कर लेना
कुछ पल मुझे अपनी आँचल की छाओं में रख ले " माँ" !

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