बुधवार, 30 मार्च 2011

वर्ड कप - वर्ड कप अब हमारा है


चिल्ला -चिल्ला कर मन>मोहन ने पाकिस्तान को जता डाला है

गिलानी को घर बुलाकर प्यार से समझा डाला है

अब वाज आ जाओ ?

नहीं तो इसी तरह घर में घुस कर दिखा देगें कि हम तुम्हारे बाप है

बाप के साथ बेटे सा फर्ज निभाओ वर्ना हम भूल जायगे कि हमारा कोई बेटा था

घर में घुस कर बे दखल कर डालेंगे

जहाँ रह रहेओ

वह घर हमारा है

वह घर हमारा है

वर्ड कप अब हमारा है>>>>>>>>>>>

मंगलवार, 29 मार्च 2011

सूरज की मेहरबानी लौट आता 
अँधेरे को रौशनी में बदल जाता

जिनकी आप राह देख रहे 
वह केवल जिन्दगी को
अँधेरे में बदल जाते

अब  वक़्त रहते
अपने को बदल डालो

राह में जो कांटे आये
फूलो में बदल डालो

जिसे तुम कहते हो सुंदर
सुन्दरता में बदल डालो

आप मंथन करो
मन में उसे बैढालो

अब वक़्त रहते
अपने को बदल डालो

दूसरे की पीड़ा को
सुख में बदल डालो

आसमान का नीला रंग
सुबह
ढंडी हवा के झोके
वर्षा की पहली
फुआर 
मन में समाई
तस्वीर की  धुंद को 
हकीकत  में 
बदल डालो

अब वक़्त रहते
अपने को बदल डालो



नेता रूपी बम

सोनामी से ज्यादा


खतरनाक है यह

नेता रूपी बम

इनकी कारिस्तानी

निकाल रही

पब्लिक का दम

कैसे इन को ज्ञान मिले

यह बन न जाये

नुक्लेअर बम

शनिवार, 19 मार्च 2011

मन..... की मर्जी

मन..... की मर्जी
हमारा मन.....
बड़ा सियाना है
उसे सिर्फ
सिर हिलाना है
और
अपने कारखाने में
कागज पर
10karor  नोट छपवा कर
बटवाना है?
फिर चले न चले
वोट फिर भी    पा जाना>>>>>>>>>

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

होली है होली है
रंग विरंगी हाली है
मन >>>से पूछो
लोक सभा में लगी
 विस्वास की होली है  
मन>>>>
बड़ा परेशान
लग गई उसकी
इज्जत की
बोली है>>>>>>>>
होली है  भाई    
 होली है

शनिवार, 12 मार्च 2011

संसद में महिला विधेह्क बिल क्यों नहीं पास हो रहा है ?

क्यों की वोही सांसद डरे हुए है जो आज घर पर अपनी

महिलाओ को जागीर समझते है

डर है की घर वाली सांसद पहुच जाएगी ,तो हुकुम किस पर

चलेगा

फिर हो सकता घर खुद को सभांलना पड़े, जीतेगे है नहीं ?

बहुत अत्याचार जो किये है ,अब घर बैढ़ कर

मिसेस तेंदुलकर जो बनना पड़ेगा ?



टी वी हो या बीबी


हर वक़्त देखने का मन करता

पहली टी

रंगारंग प्रोग्राम

दिखाता

दूसरी बी

रंग में भंग

डालने का प्रोग्राम

बनाती

दोनों में कोई सुनामी न रोक पाती

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

क्या बताये तैरना
ही नहीं आता
डूब जाऊंगा
इन झील सी
नीली आँखों में

मन बड़ा चचंल
सामने खड़े अंकल
कैसे दीदार हो
दिल में हो रही
बड़ी हलचल

तुम बार-बार
टकरा जाती हो 
सोच समझ कर
सामने आती हो 
सोचा हुआ काम
आता नहीं
मन की बात
मन में रह
जाती है

हिसाब

हमारी उम्र  की बात न करना
तमाम उम्र बीत गयी
हिसाब लगाने में

खुद को याद नहीं
खुदा घर जा पूछना है

 पूछ   कर बताते है
इंतज़ार    करो
आने का
फिर  हिसाब लगाते है