सोमवार, 13 मई 2013

यू ऱोज -ऱोज
क्यों  बदल जाती  हो
क्या इरादा है
फेसबुक  बदलने का
इस तरह तो
धूप छाव नहीं
बदलती
अब फेसबुक वाले
क्या करे
साइड  छोड़ कर
कभी नहीं जा पाएंगे 

बुधवार, 8 मई 2013


यू ऱोज -ऱोज बदल जाना ठीक नहीं
धूप और छावं की तरह
भटक जायेगी क़ुदरत की  राह
यू क़ुदरत से मत खेलो
 कभी शाम नज़र न  आयेगी
मयखाने खाली हो जायेगे
कहीं पएमाने   नज़र  न  आयेंगे
क्या
ख़ुदा ख़ुद भूल  सुधारने 
जन्नत से आयेगे 

सोमवार, 6 मई 2013

हम कुछ कहना चाहते
पर ओठ सिल जाते
हम कुछ देखना चाहते
पर नज़र झुक जाती
तुम  यू  न  बदलो
मौसम बदल जाते है
हम कुछ कहना चाहते
पर ओठ सिल जाते है