रविवार, 10 नवंबर 2013

खामोश सी आँखे
क्या मन में तुम्हारे
खुली आँखों से तुम
किस को निहार रही हो
इस तरह बार -बार
तस्वीर मत बदलो
जैसी सुन्दर छवि है
मन से भी सुन्दर हो
जब खुद ख़ुदा मेहरवान हो
किसी पर
उसको किस बात की चिंता
खामोश सी तुम
मन में
क्या चित्र बना
रही हो
चेहरे से मासूम गुडिया सी दिखती हो
इन आँखों से देख लो जिसको
कत्ल बिन छूरी कर सकती हो
तुम  को खुद नहीं पता
कितनी मासूम दिखती हो
बालो को लहरा दो तो
सुनामी ला सकती हो
खामोश लव तुम्हारे
चहकती हुई फितरत हो
जिस खुदा ने बनाया
उसकी सुन्दर सी मूरत  हो
चेहरे से मासूम
गुड़िया सी दिखती हो
नज़र से शोख़
चंचल सी दिखती हो
खामोश चेहरा
सब क़ुछ वयां  कर देता है
किस चित्रकार ने यह
तस्वीर उतारी
उसकी तारीफ़ करूं 
या तुम्हें निहारूं

गुरुवार, 15 अगस्त 2013

आओ आज कुछ गुन गुनाए
बहती  हवा  पकड़ झूला बनाये
आसमान में बादलो से
ख्वावो का एक घर बनाये
उसमे  आसमान के तारे जड्वाए
चाँद सूरज को अतिथि  बनाये
समुन्दर  से सीढ़ी लगये
आओ आज कुछ गुन गुनाये
ख्वावो के इस महल में
इंद्र की अप्सराओ संग जश्न मनाये
इंद्र धनुष की मालाओ से महल सजाये
रिमझम बरसते पानी से प्यास बुझाये
आओ आज कुछ गुन गुनाये
तारो की माला बनवा कर
अतिथो  का स्वागत करवाये
बादलो  का विस्तर बना
मीठी -मीठी नीदं ले
ख्वावो  को सच बनाये
आओ आज कुछ गुन गुनाये

बुधवार, 31 जुलाई 2013

प्यार  की उम्र नही होती
जिस किसी पर कब आ जाये
इसकी कोई सीमा नहीं होती
देखने वाले की नजंर से देखो
किस नजंर से देखता है
उसको इतनी  समझ होती
तब क्या बात इस तरह फैली होती 
हम  हमेशा उन से नजरे चुराते रहे
वह हमारे है
हमे जताते रहे
kmvqt  हम समझ न सके
किस  तरह उन्हें समझाते
प्यार हम भी करते
जताते नही 

रविवार, 28 जुलाई 2013

मै पानी हूँ
किसी की  किस्मत
किसी  की जिंदगानी हूँ
जो मुझे समझते है
बड़े प्यार से रखते है
उन की मै दासी हूँ
न समझने वालो की
मै जिन्दगी हराम कर देती  हूँ
आखों के रास्ते निकल जाती हूँ
समझने वालो को मै
पानी - पानी  कर देती हूँ 
इस लिये कहती हूँ
बड़े प्यार से मुझे पालो
वर्ना पानी -पानी के लिये
 तरस जाओगे
मै इतरा कर चली जाऊँगी
फिर हाथ न आऊँगी 
मै बेचारा होटल
 पल -पल ढगा  जाता हूँ
जो भी मेरे  सम्पर्क आता
वही रौंद कर चला जाता है
मै  बेचारा  मूक दर्शक
सब कुछ सह कर
बेजान सा
अपनी किस्मत पर रोता हूँ
ढगा सा सब कुछ सहता  हूँ
फिर भी मुस्कराता हूँ
आने वाले का  फिर भी
welcome कृरता हूँ
फिर वह मेरे को रौंद
चलता फिरता है
मै बेचारा होटल
पल -पल सब कुछ
सहता हूं