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Hindi Blog - जरा सोचो भाई !
जीवन की घटनाओ का चित्रण मेरी कवितों से ...
बुधवार, 8 मई 2013
यू ऱोज -ऱोज बदल जाना ठीक नहीं
धूप और छावं की तरह
भटक जायेगी क़ुदरत की राह
यू क़ुदरत से मत खेलो
कभी शाम नज़र न आयेगी
मयखाने खाली हो जायेगे
कहीं पएमाने नज़र न आयेंगे
क्या
ख़ुदा ख़ुद भूल सुधारने
जन्नत से आयेगे
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यू ऱोज -ऱोज क्यों बदल जाती हो क्या इरादा है फेस...
यू ऱोज -ऱोज बदल जाना ठीक नहीं धूप और छावं की तरह...
हम कुछ कहना चाहते पर ओठ सिल जाते हम कुछ देखना चाह...
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