वह दुःख के सागर में
गोते खाती रही
सरकार मेरी
लोगो को
बातो से रिझाती रही
अब बातो और आश्वासन
से काम नहीं चलेगा
कुछ ठोस कदम
उठाने का वक़्त
आ गया
वह तो सो गई
अब जागने का
वक़्त आ गया
गोते खाती रही
सरकार मेरी
लोगो को
बातो से रिझाती रही
अब बातो और आश्वासन
से काम नहीं चलेगा
कुछ ठोस कदम
उठाने का वक़्त
आ गया
वह तो सो गई
अब जागने का
वक़्त आ गया