बुधवार, 27 जुलाई 2011

लाटरी लग गई

अर्जुन का स्कूल में दाखिला  कराने के लिए फार्म लेना था !
लोग सुबह ४बजे से लाइन में लगे थे !
मै भी ७बजे एक कप चाय पी कर पंहुचा? पता चला कि लाइन में करीब २०0लोग पहले से ही आ कर लग गये थे ! 
मै अपने को तीसमार खा समझ रहा था घर पर कह कर आया कि अभी ९बजे तक फार्म लेकर आता हूँ ! यह नजारा देख होश उड़ गये !
अर्जुन को ७ वी क्लास   के बाद मसूरी से बुलाने का प्रोग्राम बनाया था !
कैसे यहाँ दाखिला मिलेगा लगता कि पूरा शहर इसी स्कूल में पढने आ रहा है !
किसी तरह लाइन में लग गया खिड़की खुलने में अभी २ घंटे बाकी थे ! जैसे ही ९ बजे खिड़की खुली लाइन में एक तरह का भूचाल आ गया! लगे सब लोग कोशिश  करने  पहले किसी तरह खिड़की में जाकर कूद पड़े!
केवल 80बच्चो के लिए सीट खाली थी २५० आदमी लगभग लाइन  में लगा था !
११बजे तक केवल ५० फार्म ही बंट पाये कि खिड़की पर हलचल बंद हो गयी मालूम हुआ कि बाबू जो फार्म बाँट रहा था चाय -पानी करने चला गया !
आधे घंटे बाद फिर से खिड़की पर रौनक लौट आई !
लोग बाग धक्का मुक्की करके आगे पहुचंने की कोशिश करने लगे !
इतने में देखा  किसी क़ी  जेब कट गई! लगे वह पीछे खड़े व्यकित को गाली देने और उससे लड़ने मरने के लिए तैयार हो गये बाद में मालूम हुआ कि पर्स घर पर ही भूल आये थे !
इतने में पर्स ले कर श्री मती जी आ गई थी साथ में कुछ नाश्ता लाई थी !
डिब्बा साहब को देकर खुद लाइन में खड़ी हो गई !
भूख के मारे पेट में चूहे कूद रहे थे !स्कूल में भीड़ से एक मेला सा लगा था !
कुछ खुन्च्चे वालो क़ी बन आई !
बड़ी मुशिकल से हमारा नम्बर  आया और १ बजे लंच के लिए  खिड़कीफिर बन्द हो गई अब क्या करे भूख बड़ी जोर लगी थी !
सबेरे बिना नहाये चला आया घर से फोन आया सो गये क्या ?  
अभी तक क्यों नहीं आये !सारे कम छोड़ कर फार्म लेने आ गया था !
फार्म न हो गया जैसे नौकरी के लिए इंटरब्यू देने आया था !
बड़ी मुशिकल से दो बजे खिड़की खुली जल्दी से फार्म के लिए अंदर हाथ डाला बाबू ने हाथ जोर से झटक दिया  खाली हाथ ?
१०० रूपये का नोट निकालिए नहीं तो आगे से हटिये !
जल्दी जेब से १०० रूपये निकल कर दिए और फार्म ले कर सीना तान के निकला जैसे लाटरी निकल आई हो !
 आल इस बेस्ट

 







शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

समझदारी

उस दिन कोतवाली के पास कार का चालान हो गया था !आज कचहरी में तारीख थी सुबह 10 बजे ही कचहरी पहुच गया सोचा जल्दी काम निपटाकर ड्यूटी चला जाऊंगा मगर खड़े -खड़े  ११बज गये !
 कोर्ट में वकील साहब आये कागज बने !५५०रुप्ये वकील साहब ने झटक लिए मरता क्या न करता दिए !
सभी कागज लेकर वकील ने कोर्ट में जमा कर दिए बोले जब आवाज लगे तो हमे बुला लेना जब तक हम दुसरे कोर्ट में है !
कोर्ट में बुहत भीड़ थी ऐसा लग रहा था की शहर भर की गाड़िया चालान कर दी गयी !
सामने जज साहब की कुर्सी खाली थी ! थोड़ी देर में पेशकार साहब प्रगट हुए!
उनके आते ही एक सज्जन ने उनके सामने एक छोटा सा लिफाफा रख दिया !वह मुस्कराए और बोले क्यों आज चूना ठीक लगवाया है कल मुंह
कट गया था !
नहीं -नहीं साहब मैने उसे डांट दिया ठीक से लगाया करो नहीं तो अंदर करा देंगे !पेशकार साहब ने पुडिया खोली और पान को मुंह के अंदर ऐसे रख लिया जैसे तिजोरी में रूपया रख लिया !
मैने अपने कागज सामने पेश कर दिए !  उन्होंने  कागज उठाया और एक तरफ  रख दिया बोले थोड़ी देर रुको साहब आ जाये !
मै एक तरफ जा कर बैठ गया ! बड़ी देर बैठा रहा मगर पेशकार साहब ने आवाज नहीं लगवाई न कागज उठाये !
मै उनके पास जा कर बोला साहब जल्दी करा दीजिये ड्यूटी छोड़ कर आया
बड़ी मेहरबानी होगी ! पेशकार साहब ने मुस्कराते हुए हमारी तरफ देखा
कुछ खर्चा पानी तो दिया नहीं सूखे कागज पकड़ा दिए ! बोलिए क्या करा दे कुछ.... मैने जेब से ५०रुप्ये निकाले और आगे बढ़ा दिए
   ५०का नोट देख कर वह फिर मुस्कराए बोले क्या पान खरीद रहे हो यह इसे दे दो  चपरासी की तरफ इशारा किया ! वह भूखी निगाह से नोट देख
रहा था  झट से उठा कर अंदर कर लिया और बोला साहब इधर आइये हम
बताते है !
मै उसके साथ किनारे लग गया वह बोला देखिये नये साहब बड़े खडूस किस्म के है किसी की कुछ नहीं सुनते है !पहले तो आज कुछ होगा नहीं
तारीख मिल जाएगी !
 दोबारा आप आयेगे फिर ड्यूटी छुट जाएगी और ५००से कम  जुर्माने की
सोचे भी नहीं ! कुछ खर्च करे आज ही निपटा देते है !मैने पूछा क्या खर्चा 
लगेगा ! बोला ३०० और २०० आपके बच जायेगे और दोबारा आना भी !
 मै सोचने लगा क्या करे समझ नहीं आ रहा था !चपरासी बोला जल्दी बताइए मुझे साहब के घर जाना है वही केस पर दस्खत करा लूँगा !
 मैने हाँ कह दिया !बोला लाइए ३०० आप आधे घंटे बाद चाय पानी कर आये !
मै फटाफट काम करके लाता हूँ ! मैने जेब से ३०० निकाल उसके हाथ रख
दिए तथा बाहर चला गया !लौट कर आया तो चपरासी  ने  हाथ पर कागज
रख दिया बड़ी देर से राह देख रहा था !
 कागज ले कर मैने चेक किये उसमे  २५ ही की रसीद थी और मुस्कराया ...... बाकी खर्च हो गये

आल इस बेस्ट



गुरुवार, 21 जुलाई 2011

वाह रे कानून

एक दिन सवेरे 9  के आस पास मै बच्चो को स्कूटर से स्कूल छोड़ कर लौट रहा था !
श्रीमती जी ने वापसी में सब्जी लेकर आने का हुक्म दिया , तो सब्जी मंडी
मुड गया ,और स्कूटर अभी खड़ी ही कर रहा था ,कि अचानक सामने से आ
रही ट्र्क ने आगे जा रही मोटर साइकिल को टक्कर मार दी और भाग निकला ! 
     मैने सारा द्रश्य अपनी आँखों से देखा !
लोग बाग आस पास पकड़ो -२ की आवाज लगा कर दौड़ पड़े और मोटर साइकिल वाले को घेर कर आपस में बाते करने लगे !
मुझसे भी रहा न गया !मैने सब्जी वाले से कहा ,भैया जरा स्कूटर देखना ,मै
देख कर आता हूँ !
सब्जी वाला बोला किस -२ का ध्यान रखूं ,यहाँ तो आये दिन इस तरह के
एक्सीडेंट होते है !
लोग- वाग इसी तरह आगे बढ़ते और जब गवाही देने का नम्बर आता ,तो
मुहं घुमा कर कहते है मैने तो देखा ही नहीं !
बाबू जी आप भी देख आये  मगर स्कूटर की  जुम्मेदारी मै नहीं लेता ! मैने कहा कोई बात नहीं इंसानियत भी कोई चीज होती है कह कर भीड़ की तरफ
बढ़ा !
   चारो तरफ से भीड़ ने उस व्यक्ति को घेर लिया था !
ट्रक के टक्कर से पिछला पहिया उसकी कमर से निकल गया वह जमीन मै पड़ा छटपटा रहा था  पानी -पानी की आवाज आ रही थी !
भीड़ मे एक ने उसे बोतल से पानी देना चाह मगर साथ वाले ने मना कर दिया यह पुलिश केश है दूर रहो पुलिश के लफड़े मे मत पड़ना !
मन मे आया कि आगे बढ़ कर एक झापड़ रसीद कर दूँ और मैने बोतल झीन कर उस व्यक्ति के मुहं मे पानी डाल दिया बड़ी हसरत भरी निगाह से हमारी तरफ देखा और घर का  फोन नम्वर  दिया मिलाने के लिए !
मैने जैसे उसके घर फोन किया सभी लोग दौड़ पड़े !
इतने मे किसी ने पुलिश को फोन कर दिया ! मौके पर पुलिस आ गयी आते ही इंस्पेक्टर ने बड़े रुआब से पूछा किसी ने ट्रक वाले का नम्वर नोट किया ?
किस रंग की थी ?
किधर  से आ रही थी ?किधर गयी आदि सवाल पूछ कर फालतू की इन्क्वारी करने लगे और वह बेचारा तडपता रहा उसकी तरफ देखा भी नहीं और न ही किसी प्रकार की फर्स्ट ऐड दी !
भीड़ से पूछने लगे किसी ने छुआ तो नहीं ?
बड़ी देर  से उसकी बकवास सुन रहा था !
मैने आगे बढ़ कर कहा जी    हाँ मैने इसे पानी पिलाया था !इसे अस्पताल ले जाये इसी समय सभी इन्क्वारी कर लेगे !
इंस्पेक्टर ने आखें तरेरी और मेरी तरफ देख कर कहाँ ये मिस्टर अपना काम कीजिये यह पुलिस केस है क्या करना मुझे मालूम है !अभी तो देखना है यह एक्सीडेंट किस ठाणे के अंदर  आता तथा अब उसने मरीज की तरफ
रुख किया और बोला अरे यह तो सिविल लाइन का केस बनता है राम सिंह
पांडे को फोन कर दो कह कर अपनी गाड़ी मे बैठ गया !
अभी तक वह तडफ रहा था मगर खून बह जाने से वह मर गया इतने मे घर
वाले भी आ गये !
तभी इंस्पेक्टर पांडे भी आ गये अरे यह तो मर गया और एक जीवन लीला
इन्क्वारी की भेट चढ़ गयी !
 हाय रे हमारे देश का कानून..........
आल इज बेस्ट





मंगलवार, 5 जुलाई 2011

चाँद क्यों अपना सा लगता

तारो की बरात ले 
दूल्हा सा दिखता
बादलो का सेहरा पहन
छुपता दीखता
बड़ा प्यरा
लगता
चाँद क्यों अपना सा लगता

तारो की बरात ले
सारे बराती इतरा रहे
टिम-टिम करते
बादलो को हटा रहे
खुश हो कर
इंद्र भी इत्र
बर्षा रहे
चाँद क्यों अपना सा लगता
उधर चांदनी
दुल्हन बनी
हाथ में वर माला लिए
दुल्हे की राह तकती
उंघती सी जा रही
चाँद क्यों अपना सा लगता
तारो की बरात ले