शनिवार, 29 दिसंबर 2012

वह  दुःख के सागर में
गोते खाती रही
सरकार मेरी
लोगो को
बातो से  रिझाती रही
अब बातो  और  आश्वासन
से काम नहीं चलेगा
कुछ ठोस कदम
उठाने का वक़्त
आ गया
वह तो सो गई
अब जागने का
वक़्त आ गया 

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

मन>>>>>>>बड़ा

मन>>>>>>>बड़ा
घबडा रहा
एक -एक कर
हाथ के
पंजे की
उगंलिया गिनता
जा रहा !
राहुल की
लालटेन की रौशनी
मध्म हो
कोई करिश्मा
न दिखा पाई !
मन >>>>बड़ा
घबडा रहा
बार -बार
पंजे को खाली
देख
उगंलिया
गिनता जा रहा !
जो बचा
दादा ने
दादा गिरी
दिखा
पंजे को खाली
हवा में
लह- लहा रहा है
मन>>>>बड़ा
घबडा रहा
मन >>>>>बड़ा
घबडा रहा
माथे पर आई
पसीने की बुँदे
मेडम को
दिखा
रहा !
मन >>>>बड़ा.......

हडबडाहट

तीन माह बाद अमेरिका से लौट  कर घर पंहुचा देखा तो होश उड़ गये बिजली बिल १२५०० का आया था !जब कि मीटर रीडिंग केवल २५ यूनिट ही दिखा रही थी !
बिजली बिल न जमा करने से मीटर भी कट गया था !अब क्या करे गर्मी के
मारे बुरा हाल था !
तीन माह बड़े मौज मस्ती में काट कर घर आने की सारी खुशी रफू चक्कर
हो गई तीन माह से घर बंद था घर का बुरा हाल था ! क्या करे क्या न करे
समझ नहीं पा रहे थे ! शाम के ५ बज रहे थे रात कैसे कटेगी किसी तरह
पडोस से रात भर के लिए कटिया डाली और उन्हें खुश करने के लिए वह
बढिया गिफ्ट देना पड़ा जो बड़े साले साहब के लिए लाया था ! इसके कारण
श्री मति जी से भी झगड़ा हो गया बोली मै नहीं जानती भाई साहब के लिए
यही गिफ्ट चाहिए मुझसे कोई मतलब नहीं ? मरता क्या न करता हाँ करना पड़ा सोचा इस समय भूचाल सभंल जाये आगे देखा जायेगा !

सबेरे जल्दी -जल्दी तैयार हो कर ठीक १० बजे बिजली घर पहुचं गया मगर
वहाँ सन्नाटा  पड़ा था ! एक व्यक्ति टहल रहा था ! बाबू जी क्या काम है !
सवेरे -सवेरे कैसे ? तुम लोगो की मेहरबानी से लाइन काट दी है और बिल
भी बड़ा लम्बा चौड़ा भेज दिया है इसी लिए आये है ! साहब कितनी देर मे
आयेगे ! आप बहुत जल्दी आगये यहाँ ११ बजे से पहले कोई नही आता है !
और श्रीवास्तव जी छुटी पर है वही आप के घर गये होगे !
देखो आज ज्वाइन करना है आते है कि नहीं ?
मर गये ?कोई और तो होगा जो हमारी समस्या देख ले !हम कुछ मदत करे
आप की कैसे ? अभी आप कुछ खर्चा पानी करे उसने हाथ से इशारा किया !
मैने  झट जेब से १० रूपये निकाल कर आगे बढ़ा दिया ! १० रु० देख कर
ऐसा मुहं बनाया जैसे कुछ कड़वा खा लिया हो !
बोला रख लीजिये मै चला मुझे बहुत काम है आप इंतजार करे ?
    मैने उसे रोका और कितना चाहिए देना है तो १०० रु० का हरा-हरा  नोट निकालिए !
फिर मेरा कमाल देखिये !
   मैने सोचा देखते है और पर्स से १०० का नोट निकाल कर हाथ पर रख दिया !   उसके अंदर गजब की फुर्ती आ गई चलिए -चलिए जल्दी नही तो साहब निकल जायेगे कह कर मेरी गाड़ी का दरवाजा खोल कर झट आगे सीट पर विराजमान हो गया !
     किघर चलना है? श्रीवास्तव जी के घर मगर वो तो छुट्टी पर है! तो क्या हुआ चलिए तो सब ठीक हो जायेगा बस चिंता न करे ! थोड़ी देर में हम लोग श्री वास्तव जी  घर के सामने थे ! रुकिए देख ले साहब है की नहीं और दन- दनाते हुए घर के अंदर पहुँच गया ! हम  गाड़ी में इंतजार करने लगे  ! करीब १५ मिनट   के बाद वह बाहर आया और बोला चिंता न करे साहब सब्जी लेने गये है आते ही होंगे !
     तुम इतनी देर क्या कर रहे थे क्या करे कुछ घर काम निपटा देते है चाय मिल जाती है! आप चाय पियेगे ले आये  नहीं-नहीं ?  इतने देर में श्री वास्तव जी स्कूटर से आते दिख गये! लीजिये साहब आगये ! आगे.........