शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

मन>>>>>>>बड़ा

मन>>>>>>>बड़ा
घबडा रहा
एक -एक कर
हाथ के
पंजे की
उगंलिया गिनता
जा रहा !
राहुल की
लालटेन की रौशनी
मध्म हो
कोई करिश्मा
न दिखा पाई !
मन >>>>बड़ा
घबडा रहा
बार -बार
पंजे को खाली
देख
उगंलिया
गिनता जा रहा !
जो बचा
दादा ने
दादा गिरी
दिखा
पंजे को खाली
हवा में
लह- लहा रहा है
मन>>>>बड़ा
घबडा रहा
मन >>>>>बड़ा
घबडा रहा
माथे पर आई
पसीने की बुँदे
मेडम को
दिखा
रहा !
मन >>>>बड़ा.......

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