जिस तरह बिना " बाबू" के
आज कल पत्ता भी नहीं हिलता
उसी तरह बिना पहिया के
फाइल नहीं हिलती
मै भी एक "बाबू" जी को जानता
बड़े नजदीक से पहचानता
रिश्ते में बड़े खाश लगते
बड़े -बड़े उनसे पानी मांगते फिरते
बातो और दिल के
वोह बड़े रसिया है
उनका नहीं सानी
आप को रिज़ाहने में
मेनका और रम्भा पीछे रह जाती
बातो में
मुहं से
रस टपकता
दिल में क्या
कोई समझ न सकता
धीरे -धीरे आप
घुल मिल जाते है
बातो में उनकी
फंस जाते है
मॉल कब जेब का
निकल जाता है
यह बात कोई समझ
नही सकता है
जब आप लूट -पिट जाते
तब क्यों
आसूं बहाते हो
बड़े होशियार बनते हो
अपनी करनी पर
अब क्यों
आसूं बहाते हो
चिड़िया जब चुग गयी खेत
अब क्यूँ पछताते हो
बाबू जी -बाबू जी
क्यों चिलाते हो
वह कोई नई चिड़िया
तलाश रहे होगें
तुम क्यों सूखे
जाते हो
जैसी उनकी करनी
वैसी उनकी भरनी
चिड़िया जब चुग गयी खेत
अब क्यों पछताते हो
सोमवार, 29 नवंबर 2010
रविवार, 28 नवंबर 2010
तारे
मंद -मंद मुस्करा रहे
आँसमा बरसा रहा
रंग विरंगे
फूल और तारे
सर्द हवाये गा रही
बासुरी सी मीठी धुन
झूम-झूम के
नाच रहे
चाँद -और सितारे
मंद -मंद मुस्करा रहे
चांदनी रात के तारे
चांदनी रात के तारे
आँसमा बरसा रहा
रंग विरंगे
फूल और तारे
सर्द हवाये गा रही
बासुरी सी मीठी धुन
झूम-झूम के
नाच रहे
चाँद -और सितारे
मंद -मंद मुस्करा रहे
चांदनी रात के तारे
गुरुवार, 18 नवंबर 2010
प्यार की नज़र
नज़र -नज़र का खेल है
तुम इस नज़र पर
नज़र मत लगाना
न नज़रो
को चुराना
प्यार करने वाले
नज़रे उठा कर
चलते है
नज़रे झुकाते
नहीं
तुम इस नज़र पर
नज़र मत लगाना
न नज़रो
को चुराना
प्यार करने वाले
नज़रे उठा कर
चलते है
नज़रे झुकाते
नहीं
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