नज़र -नज़र का खेल है
तुम इस नज़र पर
नज़र मत लगाना
न नज़रो
को चुराना
प्यार करने वाले
नज़रे उठा कर
चलते है
नज़रे झुकाते
नहीं
गुरुवार, 18 नवंबर 2010
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जीवन की घटनाओ का चित्रण मेरी कवितों से ...
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