मंगलवार, 28 जून 2011

वाह रे जमाने

 वाह रे जमाने
वक्त कितना बदल गया
बच्पन मे  जिन्हे
रात जाग कर लोरी सुना
सुलाया
आज वह अपनी राते
खर्राटों को सुन -सुन कर
रात-भर  जागने की
दुहाई दे रहे !
वाह    रे जमाने
आज यह  वक्त  आ गया
चूल्हे का धुआं बुझ गया
हर वक्त धुएं के छल्ले
नजर आते है
वाह रे जमाने
दूध की शीशी  पिला कर
ऊगली थाम चलना सिखाया
आज वह सामने जाम से जाम
लगाते है
नए जमाने की दुहाई दे
साथ देने की इच्छायें
जताते है
वाह रे जमाने



सोमवार, 20 जून 2011

60 साल के बाद फिर एक नया गाँधी आगया है

कब तक तुम इस देश की जनता का खून पीकर

तिजोरिया भरोगे

अब जनता जाग गई

गिन -गिन कर हिसाब मांग रही है

हिसाब देने में क्यों  फ... रही है

एक रामदेव को लाठी के बल पर दवा लोगे

अब वक़्त आ गया

हर घर से एक गाँधी और रामदेव

निकल कर जवाब मागे गें

तब क्या ?

मुहं  छिपा कर

कहाँ तक भागोगे

यही लाठी

जब अंदर जायगी

मुहं से उलटी कर 

बताओ गे

अब उलटी गिनती शुरू हो चुकी है

बच कर कहाँ तक जाओगे

हिसाब देना ही पढ़ेगा

कितने दिन बकरे की माँ ......

मनाएगी

हिसाब देना ही पढ़ेगा

देना ही पढ़ेगा >>>>>>>>>>>>>>





मत  इतराओ 
अपनी शोख अदाओ पर 
वारिश  के
एक झोके पर
सारा मेकप
धुल जायेगा|


जरा बच के रहना
इन छिछोरी नज़रो से
पता भी न चलेगा
कब आँखों से काजल
निकल गया |

बहती समन्दर की लहरे
दिल में तूफान
मचा रही
तेज हो रही धडकन
समंदर में
गोते खा रही |