मंगलवार, 28 जून 2011

वाह रे जमाने

 वाह रे जमाने
वक्त कितना बदल गया
बच्पन मे  जिन्हे
रात जाग कर लोरी सुना
सुलाया
आज वह अपनी राते
खर्राटों को सुन -सुन कर
रात-भर  जागने की
दुहाई दे रहे !
वाह    रे जमाने
आज यह  वक्त  आ गया
चूल्हे का धुआं बुझ गया
हर वक्त धुएं के छल्ले
नजर आते है
वाह रे जमाने
दूध की शीशी  पिला कर
ऊगली थाम चलना सिखाया
आज वह सामने जाम से जाम
लगाते है
नए जमाने की दुहाई दे
साथ देने की इच्छायें
जताते है
वाह रे जमाने



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