मंगलवार, 29 मार्च 2011

सूरज की मेहरबानी लौट आता 
अँधेरे को रौशनी में बदल जाता

जिनकी आप राह देख रहे 
वह केवल जिन्दगी को
अँधेरे में बदल जाते

अब  वक़्त रहते
अपने को बदल डालो

राह में जो कांटे आये
फूलो में बदल डालो

जिसे तुम कहते हो सुंदर
सुन्दरता में बदल डालो

आप मंथन करो
मन में उसे बैढालो

अब वक़्त रहते
अपने को बदल डालो

दूसरे की पीड़ा को
सुख में बदल डालो

आसमान का नीला रंग
सुबह
ढंडी हवा के झोके
वर्षा की पहली
फुआर 
मन में समाई
तस्वीर की  धुंद को 
हकीकत  में 
बदल डालो

अब वक़्त रहते
अपने को बदल डालो



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