शुक्रवार, 18 जून 2010

फुरशत के पल

जब वकत मिले तुम
अटरिया पर
आ जाना
चाँद छुप जाये
तुम चांदनी  फैलाना
चाँद को अपनी माँ
की याद आती है
इसी बहाने
माँ से मिल
आएगा
कुछ वक्कत
आराम से माँ
के आँचल में
नीद पूरी
कर आएगा |

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