रविवार, 30 मई 2010

वर्दी वालो का राज्य

बहुत  दिनों से कही बाहर नहीं गया था .सोचा चलो रात में कही डिनर करे . रात ८ बजे घर से कार से माल रोड तक पंहुचा देखा चेकिंग हो रही है ! एक पुलिस  वाला सड़क के बीचो-बीचो में डंडा लिये गाडिओ को ऐसे रोक रहा  था. जैसे शहर में आतंकवादी आ गये, ऐ गाडी रोको किनारे लगाओ, कागज लाओ डंडे से इशारा कर किनारा दिखा रहा था ! किनारे एक मोटर साइकिल पर इन्स्पेटर गद्दी पर बैठा
कागज चेक कर रहा था !
मै भी कागज लेकर उसके पास पंहुचा,कागज चेक कराया, बोला लाइसेंस दिखाओ . मैंने पीछे पाकेट में हाथ डाला पर्स के  लिये  पर्स नहीं  था !  साहब पर्स घर पर भूल आया हू ला० उसी में है! यह बहाने मै
रोज सुनता. कह कर हमारे सभी कागज पास खड़े सिपाही को पकड़ा दिया और मुझे उसके हवाले कर दिया कहाँ, रामरतन इन्हे देख लो !
अब मैंने वोही बात रामरतन से कही जो इन्स्पेटर से कहा , वोह मुस्कराया चलो एक और बकरा फंसा.
बोला साइड मे आये मै उधर चला गया ! अब डिनर का प्रोग्राम तो भूल गया. किसी तरह कागजो को
लेने के लिये ऐसे गिड- गिडया जैसे चोरी की गाडी ले कर भाग रहा था ! अब रामरतन मालिक और मै मुजरिम की तरह खड़ा था .चालान होगा कटवा लीजिये वोह बोला !
काहे  भाई चलान क्यों होगा सभी कागज तो दिखा दिया है ढीक है,मगर ला० कहाँ, मेरी उम्र देखो क्या मै बिना ला० के गाडी चला रहा हूँ !मै नहीं जानता चालान कटावय या यही पर निपटा दे ! मैंने कहाँ निपटा दे. क्या मतलब.देखिया चलान
हो जायेगा कोर्ट जायगे वकील करेगे समय ख़राब करगे. इससे अच्हा है यही निपटा दे !
मैंने कहाँ ढीक है १००/- की रसीद काट दे ! वह सुन कर ऐसा मुहं बनाया जैसे किसी ने पीछे से आल पिन घुसा दी! कोर्ट में ५००/- से ज्यदा खर्च कर दो गे! तब ढीक हो जायेगा.चले १००/- की रसीद काट दे, आप लोगो को जितनी सुविधा दो सर पर चढ़ जाते है! ढीक है चालान काट देते कोर्ट चले जाये !
कैसे बात कर रहे, १००/- का नियम है ला० न होनेपर, नियम न बताओ. उम्र का ख्याल कर के आप से बात कर ली. जैसी
मर्जी हो करो. मै अब चलान काट कर एक दो दफा और लगा दूंगा. लाइट जलाये, डिपर लगाईये. यह पीछे बैक लाइट का शीशा क्यों टूटा है यह भी नोट होगा,तब ढीक केस बनेगा
शीशा  अभी भीड़ में स्कूटर वाले ने तोड़ दिया . मै नहीं जानता चलान काट ने के लिये पेन निकला! अब मै लगा गिड गिडआने रामरतन जी यही निपटा दे | अब तक रामरतन के पास मोटर साइकिल वाले के कागजात आ गये थे, रामरतन ने हमारी तरफ देखना बंद कर उसकी तरफ देख बोला क्या करना है | करना क्या यही निपटा दे.मोटर साइकिल वाले ने जेब में हाथ डाला और रामरतन की तरफ हाथ मिलाया.ओके ढीक हम चलते कागज ले लिया.सीटी बजाता आल इस बेल कर गया |
अब मेरी समझ में आया जेब में हाथ डाला. तिफाक से जेब में ७५/- पड़े थे,सुबह धोभी ने १००/- लेकर वापस किया था | मै ने निकल कर रामरतन से हाथ मिलाया, कितना है. ७५/- है. क्या भिखारी समझ लिया,३००/- से एक पैसा कम नहीं, मैंने कहा पर्स
घर पर भूल आया हू | रामरतन ने कार की तरफ देख कर कहा भाभी जी से ले लो ! मै ने कार की ओर रुख किया १००/- का नोट हाथ में ले कर रामरतन जी की तरफ ऐसे हसरत भरी निगाह से देखा,जैसे प्यासा  नल की तरफ देखता है हाथ मिलाया .
कहाँ भाई साहब कुछ कम है.अब जाने दे. रामरतन मुस्कराया कागज लिया, बोला आगे मत जाये. शहर में जगह -२ चैकिंग हो रही है ! कुछ आतंक वादी घुस आये है. यही से घर लौट जाये. बोला गुड लक !
मै अपना सा मुह ले कर ऐसा मुड़ा,जैसे मै ही आतंक वादी हू ! इतने मै एक गाडी को सिपाही ने रोका उसमे रेडियो बज रहा था . ओठ घुमाव सीटी ----- बोला बंद करो.अभी सीटी साहब बजाये गे. कागज दिखओ!   है न पूरी आज़ादी लूटने की!  आल इस बेल ! जरा सोचो भाई !

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