पुरानी कहावत है कि मूल से सूद प्यारा होता है |
यह सच मैने ६ माह में अनुभव किया वोह लिख कर पेश कर रहे है |
जब वोह दिन आया
मूल का सूद मिला
खिल गया मन का कमल
प्यासी आखों को
नई रोशनी मिली
जब पहली बार
इन हाथो ने छूआ
मन को राहत
दिल को सुकून मिला
एक एक पल
नजरो ने शीतलता
का अनुभव किया
मन गद-गद कर उड़ चला
जब किलकारिया
आँगन में गुजंने लगी
जीवन में हर पल जीने की
चाह बढने लगी
जब वो नन्हे -नन्हे
हाथो को फैलाता
करवट बदल -बदल
सूनी -सूनी आखों से
कुछ कह जाता
मेरे साठ साल के जीवन में
हर पल जीने का मजा आ गया
धीरे -धीरे हर पल
उसको बढ़ते
इन आखों ने देखा
उस पल आनन्द का सुख
जीवन के हर सुख से
अलग पा गया
जब वो कुछ -कुछ
मुसकरने लगा
नन्हे -नन्हे हाथो को
बढ़ाने लगा
तोतली जवान से
कुछ कहने लगा
इस पल आखो से
खुशियों का सैलाब
बह जाता
जब वोह उल्ट पलट
नन्हे -नन्हे
हाथो को फैलाता
जब इन हाथो से
उसे गोद में उठाता
उस पल जो सुख पाता
वोह ही
मूल का सूद कहलाता
अब वो घुटनों के बल
कुछ दूर चल कर
फिर लुढक जाता
सूनी-सूनी आखों से
नन्हे हाथो से
इशारा कर
गोद में आने को
मचल जाता
वोह छड मेरा
सारे सुखों की
हद पार कर जाता
यही पल
मूल का सूद कहलाता
अब वो नन्हे -नन्हे कदमो से
कुछ -कुछ दूरी चल कर
जब धम से
लुढ़क जाता
यह सीन देख कलेजा
मुहं को आ जाता
अरे कह कर
उसकी ओर दौड़ जाता
गोद में उठा कर
सीने से लगाता
इस पल जो महसूस होता
शब्दों में नहीं कह पाता
जो मूल के साथ की
घटना याद नहीं
इस सूद का स्वाद
चखने में मजा आ रहा
वोही मूल का सूद
जीवन में और जीने की
तमन्ना जगा रहा
भाई वोह मजा आ रहा
सूद का स्वाद चखता जा रहा
अब वोह नौ माह पार कर
ठुमक -ठुमक कर
चलने की
कोशिश कर रहा
मन भारी
दिल बैठा जा रहा
यहाँ से अन्न जल
उठने जा रहा
यह सोच
आखों से सैलाब
बहता जा रहा
यही है
सूद के स्वाद का रस
और मीठा होता जा रहा
( अधिकार सुरछित है )
कमल मेहरोत्रा
शुक्रवार, 16 जुलाई 2010
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आपकी" मूल का सूद" और "जरा सोचो भाई" कविताएं मुझे बहुत अच्छी लगीं। ऐसे ही लिखना जारी रखें। अगली कविता का इंतजार रहेगा।अभार!
जवाब देंहटाएंडॉ aalok जी नमस्कार आप के आशिर्बाद से "हाय रे मंहगाई" लिखी है पढ़ कर देखे
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