रविवार, 25 जुलाई 2010

अब क्या होगा

मेरा grandson apne dada के  इण्डिया वापस  जाने पर कह रहा |
अब क्या होगा हमारा

आप की छाया में सुकून मिला

आप छोड़ रहे साथ हमारा

यह आखें सुबह से तलासेगी

आप की छाया

अब मै आप को जानने लगा हूँ

कुछ -कुछ पहचानने लगा हूँ

आप को क्या मेरी याद न आयेगी

मेरे  बिना क्या आप  रह पायगें

अब  क्या होगा

जब बहुत दूर चले जायेगे

तब मै किसके सहारे रहूँगा

इस  अबोध बालक को एक -एक बूंद दूध पिलाकर

नौ माह पार करा  दिया

अब  बचपन मेरा

दूसरे के हाथो में खेलेगा

मै दिन भर अकेला

आप की छाया को खोजूंगा

अब क्या होगा 

जब आप चले जायंगे

छोड़ मुझे अकेला 

छोड़ मुझे अकेला 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी कविता अच्छी लगी। हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है।यूं ही जारी रखियेगा ब्लाग लेखन।आभार!

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